Saturday, March 04, 2006

हिम्मत

हाल ही में 'मैने गाँधी को नहीँ मारा' देखी. यह पन्क्तियाँ उसी में से हैं:

लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती
हिम्मत करने वालों की हार नहीं होती।

नन्ही चींटी जब दाना लेकर चलती है,
चढ़ती दीवारों पर सौ बार फिसलती है,
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है,
चढ़कर गिरना,गिरकर चढ़ना न अखरता है,
आखिर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती।

डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है,
जा-जाकर खाली हाथ लौट आता है,
मिलते न सहेज के मोती पानी में,
बहता दूना उत्साह इसी हैरानी में,
मुठ्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती,
हिम्मत करने वालों की हार नहीं होती।

असफलता एक चुनौती है स्वीकार करो,
क्या कमी रह गयी,देखो और सुधार करो,
जब तक न सफल हो नींद चैन को त्यागो तुम,
संघर्षों का मैदान छोड़ मत भागो तुम,
कुछ किये बिना ही जय-जयकार नहीं होती,
हिम्मत करने वालों की हार नहीं होती।

1 comment:

Faded Glory said...

This is actually a Harivansh Rai Bacchan Poem.