बात निकलेगी तो फिर दूर तलक़ जायेगी
लोग बेवजह उदासी का सबब पूछेंगे
ये भी पूछेंगे के तुम इतने परेशाँ क्यूँ हो
उँगलियाँ उठेंगी सूखे हुये बालों की तरफ़
इक नज़र देखेंगे गुज़रे हुये सालों की तरफ़
चूडियों पर भी कई तन्ज़ किये जायेंगे
काँपते हाथों पे भी फ़िक़रे क़से जायेंगे
लोग ज़ालिम हैं, हरेक बात का ताना देंगे
बातों-बातों मे मेरा ज़िक़्र भी ले आयेंगे
उनकी बातों क ज़रा-सा भी असर मत लेना
वर्ना चेहरे के तासुर से समझ जायेंगे
चाहे कुछ भी हो सवालात न करना उनसे
मेरे बारे में कोई बात न करना उनसे
बात निकलेगी तो फिर दूर तलक़ जायेगी
(क़फील आज़र)
Thursday, May 18, 2006
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