आनन्द फ़िल्म में अमिताभ की यह कविता नहीँ भूलती:
ऐ मौत तू एक कविता है
मुझसे एक कविता का वादा है, मिलेगी मुझको
डूबती नब्ज़ मे में जब दर्द को नींद आने लगे
ज़र्द सा चेहरा लिये चाँद उफ़क तक पहुंचे
दिन अभी पानी में हो रात किनारे के क़रीब
न अंधेरा न उजाला हो न अभी रात न दिन
जिस्म जब ख़त्म हो और रूह को जब साँस आये
मुझसे एक कविता का वादा है, मिलेगी मुझको!
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