Thursday, July 13, 2006

आशियाने की बात करते हो

शायद एक नाशाद आशिक़ के दिल की गुहार:

आशियाने की बात करते हो
दिल जलाने की बात करते हो

सारी दुनिया के रँज-ओ-ग़म देकर
मुस्कुराने की बात करते हो

हमको अपनी खबर नहीं यारों
तुम ज़माने की बात करते हो

ज़िक़्र मेरा सुना तो चिढ के कहा
किस दिवाने की बात करते हो

हादसा था, गुज़र गया होगा
किस ज़माने की बात करते हो

(जावेद क़ुरेशी)

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