आप जिनके क़रीब होते हैं
वो बडे खुशनसीब होते हैं
जब तबीयत किसी पे आती है
मौत के दिन क़रीब होते हैं
(शायर अपनी बदक़िसमती पे अफ़सोस कर रहा है, के जब जब दिल किसी पे आया, ऐसे वक़्त पे आया के मौत भी क़रीब थी. याने इश्क़ का लुत्फ़ भी पूरा न मिल सका. ग़ौर करने की बात एक और ये है, के 'मौत के दिन क़रीब होते हैं' से मौत के बार-बार आने का इल्म होता है. जो के मुमकिन नहीं. मौत के बार-बार आने से यहाँ मानी हिज्र [जुदाई] से भी हो सकता है)
मुझसे मिलना फिर आपका मिलना
आप किसको नसीब होते हैं
(यूँ तो शायर मान ही नहीं पा रहा है के उससे किसी को इश्क़ हो गया है. और वो भी 'आप' का शायर से इश्क़ हो जाना बिलकुल भी मुमकिन न था, क्यूँके 'आप' तो किसी को नसीब नहीं होते !)
ज़ुल्म सह कर जो उफ़्फ़ नहीं करते
उनके दिल भी अजीब होते हैं
(नूह नारवी)
Tuesday, December 05, 2006
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